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Sanatan Dharma Kya Hai

सनातन धर्म क्या है(Sanatan Dharm Kya Hai):

बहुत सारे लोग आजकल बोलते है की सनातन धर्म जातिवाद की धारणा को मानने वाला धर्म है। यह ऊँच नीच का आपस में भेदभाव सिखाने वाला धर्म है। कुछ लोग इसे मूर्तिपूजक प्रकृति पूजक, हजारों देवी देवताओं की पूजा को का धर्म मानते हैं।कुछ लोग इसे ब्राह्मणों का बनाया हुआ धर्म कहते हैं। कुछ लोग बोलते है की हमारे शास्त्रों में ऐसा लिखा है वैसा लिखा है और भी ना जाने क्या क्या आलोचना है।

सनातन धर्म का अर्थ:
सनातन का मतलब होता है यूनिवर्सल और धर्म का मतलब होता है ड्यूटी( कर्तव्य ) ऐसा धर्म जो सदा के लिए सत्य है वही सनातन है। सनातन धर्म का अर्थ है ‘अनन्त धर्म’ या ‘अखंड धर्म’। यह धर्म एक ऐसी संस्कृति है जो बहुमुखी है और जो आध्यात्मिकता, दार्शनिकता, नैतिकता और सामाजिकता के विभिन्न पहलुओं को सम्मिलित करती है। इसलिए, इस धर्म का अर्थ दुनिया में शांति, समृद्धि, सुख और समानता के लिए एक प्रकार का आध्यात्मिक संजीवनी प्रदान करना है।
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सनातन धर्म सही मायने मैं क्या है?
सनातन धर्म एक बहुमुखी धर्म और संस्कृति है, जो भारत में उत्पन्न हुई और दुनिया भर में प्रचलित है। यह धर्म उन लोगों के द्वारा अनुसरण किया जाता है जो जीवन के उद्देश्य और मार्ग को जानने के लिए खोजते हैं। इस धर्म का मूल उद्देश्य दुनिया में शांति, समृद्धि, सुख और समानता के लिए एक प्रकार का आध्यात्मिक संजीवनी प्रदान करना है।

1.सनातन धर्म दुनिया का नंबर एक पर रहने वाला धर्म है:
दुनिया का प्रथम धर्म प्राचीन कहने से कोई महान नहीं बनता, लेकिन कई धर्मों की उत्पत्ति का कारण बनने और ज्ञान का प्रचार करने से कोई महान जरूर बन जाता है।प्राप्त सोधा अनुसार सिन्धु और सरस्वती नदी के बीच जो सभ्यता बसी थी, बट दुनिया की सबसे प्राचीन और समृद्ध सभ्यता थी। यह वर्तमान के अफगानिस्तान से हिंदुस्तान तक फैली थी। प्राचीन काल में जितनी भी साल नदी सिंधु थी, उससे कहीं ज्यादा विशाल नदी सरस्वती थी। इसी सभ्यता के लोगों ने दुनिया भर में धर्म, समाज, नगर, व्यापार, विज्ञान आदि की स्थापना की थी। हिंदू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है, इसका सबूत है बेद देश दुनिया की प्रथम पुस्तक है।

वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज है। जिन्होंने वेद पड़े हैं यह बात भली भांति जानते हैं और जिन्होंने नहीं पड़े हैं उनके लिए नफरत ही उनका धर्म है। वेद वेदक काल की बातचीत परंपरा की अनुपम कृति है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी पिछले छह सात हजार सदी पूर्व से चली आ रही है। प्रोफेसर विन्टरनिट्ज मानते हैं कि वैदिक साहित्य का रचना काल 2000 से 2500 ईसा पूर्व था।

दरअसल वेदों की रचना किसी एक काल में नहीं हुई। विद्वानों ने वेदों के रचना काल की शुरुआत 4500 ईसा पूर्व से मानी है अर्थात यह धीरे धीरे रचे गए और अंततः यह माना जाता है कि पहले वेद को तीन भागों में संकलित किया गया ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद, मान्यता अनुसार वेद का विभाजन राम के जन्म के पूर्व पुरबा ऋषि के समय में हुआ था।बाद में अथर्ववेद का संकलन ऋषि अथर्वा द्वारा किया गया था। दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है कि कृष्ण के समय द्वापर युग की समाप्ति के बाद महर्षि वेदव्यास ने वेद को चार प्रभावों में संपादित करके व्यवस्थित किया था।

2. मोक्ष और ध्यान:
ध्यान और मोक्ष हिंदू धर्म की ही देन है। मोक्ष मुक्ति या परम गति की धारणा या विश्वास का जनक वेद ही है।जैन धर्म में केवल विज्ञान, बौद्ध धर्म में निर्वाण या बुद्धत्व का आधार वेदों का ही ज्ञान है। योग में इसे समाधि कहा गया है। इस्लाम में मगफिरत इसाई में सेल बेसन कहा जाता है। लेकिन वेदो के इस ज्ञान को सभी ने अलग अलग तरीके से समझकर इसकी व्याख्या की। मोक्ष प्राप्ति हेतु ध्यान को सबसे कारगर और सरल मार्ग माना जाता है। अमृतनादोपनिषद में मोक्ष का सरल मार्ग बताया गया है।हिंदू ऋषियों ने मोक्ष की धारणा और उसे प्राप्त करने का पूरा विज्ञान विकसित किया है।

मोक्ष का मतलब सिर्फ यह नहीं है कि जन्म और मृत्यु से छुटकारा पाकर परम आनंद को प्राप्त करना। ऐसे बहुत से भूत प्रेत या संत आत्माएं हैं जो जन्म और मृत्यु से दूर रहकर जी रहे हैं।मोक्ष एक विषय है। मोक्ष का अर्थ है गति का रुक जाना, स्वयं का प्रकाश हो जाना, वर्तमान में आत्मा, नरक, गति, तेरी अंशु गति, मनुष्य गति, देव गति नामक आदि गति यों में जीकर दुख पाती रहती है। जिन्होंने भी मोक्ष के महत्त्व को समझा, वे सही मार्ग पर है।

सनातन धर्म का इतिहास(History of  Sanatan  Dharma)

सनातन धर्म का इतिहास बहुत पुराना है। इस धर्म का विकास बहुत लम्बे समय तक चला और उसने अनेक बदलावों का सामना किया। सनातन धर्म का मूल उद्देश्य दुनिया में शांति, समृद्धि, सुख और समानता के लिए एक प्रकार का आध्यात्मिक संजीवनी प्रदान करना है।

सनातन धर्म के मूल सिद्धांत:
यहां सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों के बारे में चर्चा करते है क्या है सनातन धरम के मूल सिद्धांत
ब्रह्म’: सनातन धर्म में, सर्वशक्तिमान ईश्वर को ‘ब्रह्म’ कहा जाता है।
धर्म: इसका अर्थ है धार्मिकता और कर्तव्य।
कर्म: इसका अर्थ क्रिया है, और यह कारण और प्रभाव के नियम का आधार है।
पुनर्जन्म: मृत्यु के बाद आत्मा के पुनर्जन्म में विश्वास।
मोक्ष: यह जीवन का अंतिम लक्ष्य है और इसका अर्थ है जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति।
सनातन धर्म का मूल सिद्धांत है ज्ञान योग क्षेम है । ज्ञान क्या है ज्ञान है जो पता नहीं है उसे पता करो, अर्थात शोध करो चाहे शिक्षा से,चिंतन से, मनन से, दर्शन  से अनुभव से आदि। योग की बात करे तो योग का अर्थ है जो अप्राप्य है उसकी प्राप्ति करना। सनातन धर्म है जो आपको प्रश्न करने की आज़ादी देता है, प्रश्न करने से ही ज्ञान का उदय होता है। सनातन धर्म कभी यह नहीं कहता है कि जो लिखा है वही करो, वह कहता है अपना मार्ग खुद खोजो सबके मार्ग अलग है लेकिन मंजिल एक ही है। उस अप्राप्य को प्राप्त करना। क्षेम का अर्थ है जो ज्ञान से या योग से प्राप्त किया उसकी रक्षा करना, अर्थात उससे मिटने न देना।

Meaning Of Sanatan Dharma:
सनातन धर्म एक बहुआयामी धर्म और संस्कृति है जो भारत में उत्पन्न हुआ और दुनिया भर के लोगों द्वारा इसको माना जाता है। यह जीवन का एक तरीका है जिसका पालन वे लोग करते हैं जो जीवन के उद्देश्य और पथ को समझना चाहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति, समृद्धि, सुख और समानता के लिए एक प्रकार का आध्यात्मिक कायाकल्प प्रदान करना है।

क्या सनातन धर्म हिंदू धर्म के समान है?
सनातन धर्म और हिंदू धर्म अक्सर एक दूसरे के स्थान पर उपयोग किए जाते हैं, लेकिन दोनों के बीच अंतर है। सनातन धर्म व्यापक शब्द है जिसमें हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म शामिल हैं। हिंदू धर्म एक विशिष्ट धर्म है जो सनातन धर्म का एक हिस्सा है।

सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंथ कौन से हैं?
सनातन धर्म के मुख्य ग्रंथ वेद, उपनिषद, भगवद गीता, रामायण और महाभारत हैं। ये शास्त्र एक सदाचारी जीवन जीने और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

सनातन धर्म(Sanatan Dharm) में योग की क्या भूमिका है?
योग सनातन धर्म का एक अभिन्न अंग है, और यह आध्यात्मिक ज्ञान का मार्ग है। इसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास शामिल हैं जिनका उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त करना है। यह एक प्राचीन विज्ञान है जिसका अभ्यास हजारों वर्षों से किया जा रहा है और इसने पूरी दुनिया में लोकप्रियता हासिल की है।

सनातन धर्म में त्योहारों का क्या महत्व है?
त्यौहार सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं, और वे पूरे वर्ष मनाए जाते हैं। इन त्योहारों का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व है और यह एक साथ आने और परिवार और दोस्तों के साथ जश्न मनाने का एक अवसर है। कुछ प्रमुख त्योहारों में दिवाली, होली, नवरात्रि और दुर्गा पूजा शामिल हैं।

सनातन धर्म(Sanatan Dharm) में किसकी पूजा की जाती है?
वैसे तो सनातन धर्म हैं 33 कोटि देवी देवता है , लेकिन  मुख्य रूप से सूर्य देवता , भगवान विष्णु , भगवान गणेश , भगवान शिव , माँ पारवती , भगवान राम, माँ सीता , कृष्णा , राधा , पवन पुत्र हनुमान , माँ गायत्री , नव दुर्गा, इनकी पूजा मुख्य रूप से कि जाती है ।

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